Friday, March 28, 2008

जयपुर थियेटर पर ब्लोग का उद्देश्य

जयपुर में रंग मंच एक पुरानी परंपरा है। समय के साथ इसमें कई बदलाव आये हैं जो कि लाज़मी भी हैं। कुछ लोगों का ये मानना है कि रंगमंच के रंग कुछ बेरंग हो गए हैं पर ऐसा नहीं है, समय का प्रभाव हर किसी पर होता है, रंगमंच भी इससे अछूता नहीं है। इस पिछले कुछ सालों में खास तौर पर केबल, इंटरनेट और मोबाइल फोन आने के बाद हर क्षेत्र में बदलाव आये हैं, किसी में कम और किसी में ज्यादा। तकनीक के साथ साथ चीज़ें बड़ी तेजी से बदल रही हैं। जिसके अच्छे और बुरे दोनों प्रभाव हैं। लेकिन यदि अच्छे प्रभाव को प्रभावी ढंग से काम में लिया जाये तो ये तकनीक एक वरदान भी है।
जब भारत में केबल टी.वी.आया था तब उस पर अंग्रेजी भाषा का वर्चस्व था पर वक्त के साथ साथ हिन्दी का प्रयोग बढ़ता गया, और आज हिन्दी और क्षेत्रीय भाषा के चैनलों के सामने अंग्रेजी चैनल गिने चुने हैं। यही इंटरनेट पर भी हुआ प्रारंभ में कंप्यूटर में हिन्दी बड़ी मुश्किल थी लेकिन आज इंटरनेट पर हिन्दी भाषा की वेब साइटों और ब्लोगों की भरमार है। यहाँ तक कि संस्कृत भाषा पर भी इंटरनेट पर मिल जायेगा।
तकनीक के इस्तेमाल से कई पुरानी कलाओं को सहेजा जा रहा है। इंटरनेट का एक बड़ा फायदा ये है कि पूरी दुनिया में लोगों को जल्द से जल्द कोई भी सूचना मिल जाती है। ये ब्लोग भी ऐसी ही एक कोशिश है कि जयपुर रंगमंच को, यहाँ की गतिविधियों को ज्यादा से ज्यादा लोग जान सकें।
हमारा प्रयत्न ये रहेगा कि जयपुर रंगमंच पर होने वाले नाटकों, कार्य शालाओं और दूसरी गतिविधियों के बारे में लोगों को पहले से पहले मालूम पड़ सके। ज्यादा से ज्यादा लोग खास तौर पर छात्र थियेटर में रुचि लें। इस कार्य में आप सभी लोगों के सहयोग की ज़रूरत है।
हम जल्द ही इस ब्लोग पर जयपुर थियेटर की होने वाली गतिविधियों का ब्यौरा उपलब्ध करेंगे।
प्रतीक्षा कीजिए।
- दीपक और राकेश

1 comment:

sudhakar soni,cartoonist said...

aapka pryaas kabile-tarif hai . badhai. badi shiddat se jaipur theatere par blog ki kami mahsoos ho rahi thi,aapki is shuruwat par sadhuwad.kripya word verification hata den