जब भारत में केबल टी.वी.आया था तब उस पर अंग्रेजी भाषा का वर्चस्व था पर वक्त के साथ साथ हिन्दी का प्रयोग बढ़ता गया, और आज हिन्दी और क्षेत्रीय भाषा के चैनलों के सामने अंग्रेजी चैनल गिने चुने हैं। यही इंटरनेट पर भी हुआ प्रारंभ में कंप्यूटर में हिन्दी बड़ी मुश्किल थी लेकिन आज इंटरनेट पर हिन्दी भाषा की वेब साइटों और ब्लोगों की भरमार है। यहाँ तक कि संस्कृत भाषा पर भी इंटरनेट पर मिल जायेगा।
तकनीक के इस्तेमाल से कई पुरानी कलाओं को सहेजा जा रहा है। इंटरनेट का एक बड़ा फायदा ये है कि पूरी दुनिया में लोगों को जल्द से जल्द कोई भी सूचना मिल जाती है। ये ब्लोग भी ऐसी ही एक कोशिश है कि जयपुर रंगमंच को, यहाँ की गतिविधियों को ज्यादा से ज्यादा लोग जान सकें।
हमारा प्रयत्न ये रहेगा कि जयपुर रंगमंच पर होने वाले नाटकों, कार्य शालाओं और दूसरी गतिविधियों के बारे में लोगों को पहले से पहले मालूम पड़ सके। ज्यादा से ज्यादा लोग खास तौर पर छात्र थियेटर में रुचि लें। इस कार्य में आप सभी लोगों के सहयोग की ज़रूरत है।
हम जल्द ही इस ब्लोग पर जयपुर थियेटर की होने वाली गतिविधियों का ब्यौरा उपलब्ध करेंगे।
प्रतीक्षा कीजिए।
- दीपक और राकेश